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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

वेतनभोगियों को टैक्स में राहत देने के संकेत : ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स दायरे में लाने की होगी कोशिश-

वेतनभोगियों को टैक्स में राहत देने के संकेत : ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स दायरे में लाने की होगी कोशिश-

१-वित्तमंत्री जेटली ने कहा- मध्य वर्ग पर और बोझ लादना नहीं चाहती सरकार, आयकर छूट सीमा बढ़ सकती है
२-ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स दायरे में लाने की होगी कोशिश
३-अप्रत्यक्ष कर से सेहत सुधारने पर जोर

नई दिल्ली। अगले आम बजट में लोगों को करों में कुछ राहत मिल सकती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आगामी बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाने के संकेत देते हुए कहा कि वे वेतनभोगियों और मध्य वर्ग पर और अधिक बोझ डालने के बजाय अधिक से अधिक लोगों को कर दायरे में लाना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि टैक्स में छूट से उपभोक्ताओं के पास ज्यादा पैसा बचेगा और वे ज्यादा खर्च करेंगे, जिससे सरकार को ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होगी।

वित्त मंत्री ने शनिवार को पीटीआई से बातचीत में कहा कि उनका जोर कर दायरे में आने से बच रहे लोगों को इसमें शामिल करने पर है। एक सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि 2.5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कर नहीं लगाने का मतलब यह है कि मानक कटौती को जोड़ लिया जाए तो एक आम आदमी को 3.5 से 4 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कर नहीं देना पड़ेगा। जेटली ने कहा कि पिछली बार हमने कई छूट दी थी, जो सही मायने में हमारी छूट देने की क्षमता से अधिक थी। एजेंसी

अप्रत्यक्ष कर से सेहत सुधारने पर जोर

इस पर जोर क्यों-

क्योंकि सरकार को करीब-करीब आधे कर राजस्व की प्राप्ति इसी कर से होती है। जनता उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेवा कर जैसे तमाम शुल्कों का भुगतान करती है। जनता की जेब में पैसा डालकर इस मद में संग्रह बढ़ाया जा सकता है।

... और वेतन भोगियों का दर्द -

वित्तमंत्री ने कहा कि वर्तमान कर नीति के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 35 से 40 हजार रुपये प्रति माह कमाता है और उसका कुछ हिस्सा बचत योजनाओं में डालता है तो उसे कर देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन, इस आय वर्ग के लोगों का कहना है कि घर किराया या होम लोन की ईएमआई, परिवहन खर्च, बच्चों की स्कूल फीस आदि को देखते हुए इस आय में कुछ भी नहीं बच पाता है। बचत कहां से होगी।

वित्तमंत्री ने कहा कि कर देने से बच रहे लोगों को इस दायरे में लाने के लिए अभी कोई नीति नहीं है। ऐसे में अगर टैक्स अदा करने वाले लोगों को ज्यादा छूट देते हैं तो उनकी जेब में ज्यादा पैसा आएगा और खर्च की क्षमता बढ़ेगी। इससे अप्रत्यक्ष कर संग्रह व सरकार का राजस्व बढ़ेगा और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि वे और उनका परिचारक (अटेंडेंट) समान अप्रत्यक्ष कर का भुगतान करते हैं। जबकि वे कहीं ज्यादा उपभोग (खर्च आदि मिलाकर) करते हैं।

पिछले बजट में कर छूट की सीमा दो लाख से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये की गई थी। अगर सरकार के राजस्व संग्रह की स्थिति ठीक रहती है तो इस दायरे को और बढ़ाया जा सकता है। - अरुण जेटली, वित्त मंत्री
•ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स दायरे में लाने की होगी कोशिश

खबर साभार : अमरउजाला

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