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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

जांची जाएगी मिड-डे मील की गुणवत्ता : अफसरों के लिए तैयार किया गया विद्यालयों में निरीक्षण का प्रारूप-

जांची जाएगी मिड-डे मील की गुणवत्ता : अफसरों के लिए तैयार किया गया विद्यालयों में निरीक्षण का प्रारूप-

१-जांची जाएगी मिड-डे मील की गुणवत्ता

२-अफसरों के लिए तैयार किया गया विद्यालयों में निरीक्षण का प्रारूप

३-प्रपत्र में भरने वाले जांच के मुख्य बिंद

लखनऊ। परिषदीय विालयों में बच्चों को दिए जाने वाले माध्यान्ह भोजन के गुणवत्ता की जांच अब और भी सघन तरीके से की जाएगी। मिड-डे-मील मिल रहा है या नहीं, मसाले, तेल, घी एग्रमार्क युक्त हैं या नहीं, नमक आयोडीन वाला है या नहीं, विालयों में निरीक्षण के लिए अफसरों को इसकी पूरी सूचना निर्धारित प्रारूप पर दर्ज करनी होगी। इसके लिए प्रारूप तैयार किया गया है।

सर्व शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय विालयों, सहायता प्राप्त माध्यमिक एवं बेसिक विालयों के अलावा मदरसा आदि विालयों में कक्षा 1 से आठ तक के बच्चों को निशुल्क मिड-डे-मील दिए जाने की व्यवस्था है। मौजूदा समय में राजधानी में लगभग सवा दो लाख बच्चों को मिड-डे-मील दिया जा रहा है। अक्सर विभाग के पास मिड-डे-मील की खराब गुणवत्ता की शिकायतें आती हैं जो पूरी तरह से उच्च अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाती हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसके लिए अफसरों को निरीक्षण के दौरान विालय स्तर पर एक निरीक्षण प्रपत्र भरना होगा। जिसमें पूर्व में किन-किन अधिकारियों ने निरीक्षण किया, क्या निर्देश दिए, उनका पालन हुआ या नहीं। इसकी सूचना भी अंकित करनी होगी।

कार्यदायी संस्था के पास खाान्न उपलब्धता की स्थिति। उसकी गुणवत्ता। शासनादेश के अनुसार विालय में खाान्न का सैम्पल रखा गया है नहीं। परिवर्तन लागत की उपलब्धता। कितने बच्चे मिड-डे-मील खा रहे। खाने के बाद बच्चे अनुपस्थित होते हैं? तो क्या उनके आवेदन लिए गए? आईवीआरएस कॉल निरस्त प्राप्त हो रही या नहीं? नमक, मसाले, तेल, घी एग्मार्क युक्त हैं या नहीं? बच्चों को भोजन देने से पहले रोजाना भोजन चखने की स्थिति, दीवार पर निर्धारित प्रारूप पर मीनू अंकित है या नहीं |

    खबर साभार : डीएनए

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