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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

फर्जी टीईटी प्रमाणपत्र के तार भी विश्वविद्यालय कर्मियों से जुड़े : प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती का मामला-

फर्जी टीईटी प्रमाणपत्र के तार भी विश्वविद्यालय कर्मियों से जुड़े : प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती का मामला-

आगरा। टीईटी के फर्जी प्रमाणपत्र के गोरखधंधे का केंद्र भी डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय था। इसके कई कर्मचारियों ने नंबर बढ़वाने के नाम पर अभ्यर्थियों को ठगा। अब जब इसकी जांच आगे बढ़ रही है तो ये पुलिस के निशाने पर हैं। ये फर्जी मार्कशीट बनाने वाले रैकेट से भी जुड़े हैं। चर्चित मार्कशीट फर्जीवाड़ा मनोज तिवारी के घर पड़े जिस छापे के बाद सामने आया वह टीईटी प्रमाणपत्र मामले में ही पड़ा था।

तीन साल से अटकी 72,825 शिक्षकों की भर्ती करीब दो माह पहले शुरू हुई। पहली काउंसलिंग में ही कुशीनगर में दो टीईटी प्रमाणपत्र जाली मिले। पूछताछ में संबंधित अभ्यर्थियों ने कबूला कि उन्होंने आगरा के मनोज तिवारी (फिलहाल फरार) से ये प्रमाणपत्र लिए थे। उसने टीईटी की वेबसाइट पर उन्हें बढे़ हुए नंबर भी दिखाए। तब शासन के निर्देश पर डीआईजी ने जांच के लिए विशेष टीम बनाई। पता चला मनोज तिवारी ने अभ्यर्थियों को ठगने के लिए फर्जी वेबसाइट बना ली थी। आगरा निवासी मनोज मैनपुरी के एक कालेज का पूर्व प्राचार्य है। टीम ने जब गत 21 अक्तूबर को उसके घर छापा मारा तो विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीटों का जखीरा मिला। तब जांच इस दिशा में मुड़ी।

पुलिस सूत्र बताते हैं कि पड़ताल में-

विश्वविद्यालय के कई कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं। ये टीईटी में नंबर बढ़वाने का ठेका भी लेते थे। पुलिस इनमें से एक की मनोज तिवारी के साथ बातचीत भी रिकॉर्ड की है। जल्द ही इस मामले में कई की गिरफ्तारी हो सकती है। पुलिस के मुताबिक मुख्य पड़ताल टीईटी रैकेट की ही हो रही है, फर्जी मार्कशीट मामले की जांच साथ-साथ चलेगी। एक निजी कॉलेज का संचालक रैकेट का सरगना है। उसकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।

क्या था टीईटी घोटाला-

टीईटी 2011 में हुई थी। परीक्षा के बाद आगरा के कुछ शिक्षक भारी रकम के साथ इटावा में पकड़े गए। इनके पास टीईटी के रोल नंबर भी थे। इन्होंने कबूला कि यह रकम नंबर बढ़वाने के लिए ली गई है। बवाल मचा तो दोबारा मूल्यांकन कराया गया। कुछ के नंबर बढ़े तो कुछ के घटे भी। इस दौरान ही सक्रिय आगरा रैकेट ने नंबर बढ़वाने के ठेके लिए लिए लेकिन फर्जी साइट और प्रमाणपत्र के नाम पर ठगी ही की।

      खबर साभार : अमरउजाला

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