पेंशन सरकार की खैरात नहीं, कर्मचारी का कानूनी हक : हाईकोर्ट
लखनऊ (ब्यूरो)।‘पेंशन सरकार की कोई खैरात नहीं बल्कि कर्मचारी को उसकी सेवाओं के बदले मिलने वाला उसका कानूनी हक है। यह अधिकार उसकी संपत्ति है। इसमें किया गया कोई भी दखल संविधान के अनुच्छेद 31-ए का उल्लंघन होगा। कार्यपालक आदेश के जरिये सरकार लोक सेवक के पेंशन के हक में कमी या इसे खत्म नहीं कर सकती।’ हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी द्वितीय की खंडपीठ ने पारिवारिक पेंशन के मामले में एकल न्यायाधीश के फैसले को राज्य सरकार की ओर से दी गई चुनौती पर यह तल्ख टिप्पणी की।
कोर्ट ने पति की मौत के बाद 15 बरसों से पेंशन के लिए भटक रही पक्षकार रामप्यारी को फैमिली पेंशन तीन हफ्ते में बहाल किए जाने और इसके दो हफ्ते बाद एरियर अदा करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही एकल पीठ के फैसले से सहमति जताई। इस फैसले से उन लोगों की भी परेशानी दूर होगी जो पेंशन या पारिवारिक पेंशन के हकदार होते हुए भी इसके लिए वर्षों से भटक रहे हैं।
रामप्यारी के पति पूर्वादीन उन्नाव के जीएमएचएमकेडी इंटर कॉलेज मोहान में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। पति की मौत के बाद पेंशन के लिए उन्होंने अर्जी दी तो उपशिक्षा निदेशक (माध्यमिक) लखनऊ ने 24 फरवरी 1989 के शासनादेश का हवाला देते हुए 8 नवंबर 2001 को उसे खारिज कर दिया था। एकल न्यायाधीश ने 16 जुलाई 2002 को रामप्यारी को फेमिली पेंशन दिए जाने के निर्देश दिए। राज्य सरकार की तरफ से एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ यह विशेष अपील दाखिल की गई थी, जिसका कोर्ट ने यह फैसला सुनाकर निपटारा कर दिया|
साभार : अमरउजाला
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