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सातवें वेतन आयोग को लागू होने के पहले : राष्ट्रीय वेतन नीति को उठी आवाज -

सातवें वेतन आयोग को लागू करवाने के लिए : राष्ट्रीय वेतन नीति को उठी आवाज -

इलाहाबाद: सातवें वेतन आयोग के लागू होने के पहले राष्ट्रीय वेतन नीति के लिए आवाज उठने लगी है। राष्ट्रीय वेतन नीति बनने से ही राज्यकर्मियों के बीच असमानता खत्म होगी। सातवें वेतन आयोग के प्रभावी होने से पूर्व छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को भी दूर करना होगा। अन्यथा कर्मचारियों को भारी नुकसान होगा।

सातवें वेतन आयोग का गठन हो चुका है। केंद्रीय रिपोर्ट के आधार पर ही हरेक राज्य अलग-अलग वेतन आयोग का गठन करेंगे। इस बार सूबे से विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने एक स्वर से राष्ट्रीय वेतन नीति की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है। राष्ट्रीय वेतन नीति की मांग का मुख्य उद्देश्य देश में कार्यरत प्रादेशिक कर्मचारियों का कार्य, वेतन और आवश्यक अर्हता एक समान हो। माना जा रहा है कि ऐसा होने से कर्मचारियों में अपने कार्य के प्रति निष्ठा और बढ़ेगी। वहीं, इसके पूर्व 50 फीसद महंगाई भत्ते (डीए) का मर्जर भी मूल वेतन में करने की मांग की गई है। डीए का मर्जर न होने से सबसे ज्यादा नुकसान पेंशनरों को होता है। क्योंकि मूल वेतन के आधार पर ही पेंशन, ग्रेच्युटी, राशिकरण आदि का निर्धारण होता है। प्रदेश में छठे वेतन आयोग की विसंगतियां अब तक दूर नहीं हो पाई हैं।

उल्लेखनीय है कि लिपिक संवर्ग समेत डिप्लोमा फार्मासिस्ट, नर्सिग स्टॉफ, सिंचाई विभाग, राजस्व अमीन संग्रह, वाणिज्यकर विभाग से संबद्ध कर्मचारियों की विसंगतियां लंबित हैं। जब तक विसंगतियां दूर नहीं होंगी, सातवें वेतन आयोग का लाभ मिलने से भी कर्मचारियों को बहुत फायदा नहीं होगा।
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वर्जन---

राष्ट्रीय वेतन नीति के साथ पेंशन व्यवस्था के तहत पेंशनरों के लिए भी एक समान पेंशन का प्रावधान होना चाहिए।
हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव, चेयरमैन कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति।

        साभार : दैनिक जागरण

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