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अब हाईटेक हुई बीटीसी की पढ़ाई : प्रदेश के 71 डायट का पैटर्न बदल रहा

अब हाईटेक हुई बीटीसी की पढ़ाई : प्रदेश के 71 डायट का पैटर्न बदल रहा

इलाहाबाद : इस बार बीटीसी का सिर्फ पाठ्यक्रम ही नहीं बदला है, बल्कि पढ़ने-पढ़ाने का तरीका भी बदल गया है। अब भावी शिक्षकों के साथ ही साथ डॉयट के प्रवक्ताओं को भी इंटरनेट का सहारा लेना पड़ेगा, क्योंकि सारा सिलेबस साफ्ट कॉपी (इंटरनेट) पर है। इससे बीटीसी की समूची पढ़ाई हाईटेक हो चली है। खास बात यह है कि लोग लाखों रुपये खर्च करके अपने महकमे को हाईटेक बनाते हैं, लेकिन बीटीसी की पढ़ाई बजट की कमी के कारण हाईटेक हुई है। एससीईआरटी का दावा है कि इससे छात्रों को लाभ तो मिलेगा ही डॉयट प्रवक्ताओं के लिए बुकलेट का भी प्रबंध हो जाएगा।

प्रदेश भर के 71 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डॉयट) और 690 निजी बीटीसी कॉलेजों में पढ़ाई का पैटर्न इस बार से बदल रहा है। बीटीसी 2013 बैच में यहां तकरीबन 36760 अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जा रहा है। इतनी बड़ी तादात में हर छात्र व डॉयट प्रवक्ताओं को नया पाठ्यक्रम मुहैया करा पाना राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को काफी महंगा पड़ रहा था। बीटीसी के पाठ्यक्रम में बदलाव की कोशिश एक अरसे से चल रही थी। एससीईआरटी के निर्देश पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद ने बीटीसी प्रथम बैच का नया पाठ्यक्रम इस बार जारी कर दिया तो इसके प्रकाशन पर माथापच्ची होती रही। फिलहाल राज्य विज्ञान संस्थान ने एक हजार प्रतियां छपवायीं। इसी में से एक-एक प्रति हर डायट को भेजी गईं। इतना ही नहीं एससीईआरटी के निदेशक ने छपवाया गया पाठ्यक्रम इंटरनेट पर डलवा दिया ताकि हर छात्र उसे जान सकें और हार्ड कॉपी (लिपिबद्ध) हासिल कर सकें। जिन स्कूलों में छात्रों को निश्शुल्क किताबें बांटी जाती हैं, वहीं के भावी शिक्षकों के लिए पाठ्यक्रम प्रकाशित कराने का प्रबंध तक नहीं है। डॉयट इलाहाबाद की प्रवक्ता सरिता पांडेय ने बताया कि इस बार उनको बुकलेट नहीं मिली है, इंटरनेट से निकाली गई हार्ड कॉपी से बदले हुए पाठ्यक्रम की जानकारी ले रही हूं।

" जरूरी नहीं कि पाठ्यक्रम हर छात्र को वितरित किया जाए, इसके लिए दूसरे इंतजाम किए गए हैं। 2004 में जब प्रदेश में निजी बीटीसी कॉलेज नहीं थे तो भरपूर मात्र में बुकलेट दिए गए थे, अब अधिक निजी संस्थान खुल गए हैं।"  -आरएन विश्वकर्मा प्रभारी राज्य शिक्षा संस्थान इलाहाबाद।

"इंटरनेट पर पाठ्यक्रम डालने में कोई बुराई नहीं है, मेरा मानना है कि इससे छात्रों के साथ प्रवक्ताओं को सहूलियत मिलेगी। हर डायट और निजी कालेजों को एक-एक बुकलेट भेजी गई है।" -सर्वेद्र विक्रम सिंह, निदेशक एससीईआरटी लखनऊ।

"मुङो जो निर्देश मिला, मैंने उसका पालन किया है। एससीईआरटी के कहने पर एक हजार प्रतियां पाठ्यक्रम की छपवाई हैं। बजट की कमी वगैरह की बात एससीईआरटी ही जाने।" - नीना श्रीवास्तव, निदेशक राज्य विज्ञान संस्थान, इलाहाबाद।

      साभार : दैनिक जागरण

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