logo

Basic Siksha News.com
बेसिक शिक्षा न्यूज़ डॉट कॉम

एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

आंगनबाड़ी और प्ले स्कूलों में बच्चों का शोषण पड़ेगा महंगा : संसद में पेश जेजे एक्ट 2014

आंगनबाड़ी और प्ले स्कूलों में बच्चों का शोषण पड़ेगा महंगा : संसद में पेश जेजे एक्ट 2014

१-नए जेजे एक्ट में बच्चों की देखभाल करने वाली संस्थाओं में मासूमों को प्रताड़ित करने पर जुर्माना सहित सजा का प्रावधान

२-लोकसभा में पेश इस विधेयक को संसद के आगामी सत्र में मिल सकती है मंजूरी

नई दिल्ली। आंगनबाड़ी, प्ले स्कूल या अनाथ आश्रम जैसी बच्चों की देखभाल करने वाली संस्थाओं में मासूमों की पिटाई या शोषण करने वालों पर सख्ती की तैयारी है। संसद में पेश किये गए किशोर न्याय अधिनियम (जेजे एक्ट) 2014 के मुताबिक ऐसे मामलों में संचालक, प्रबंधक या बच्चे की देखभाल करने वालों को दंडित किया जा सकता है। नए एक्ट के प्रावधानों में छह साल तक के बच्चों को किसी भी तरह से कष्ट पहुंचाने पर प्ले स्कूल या डे केयर जैसी संस्थाओं और कर्मचारी को जुर्माना और कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।

बीते सत्र में लोकसभा में पेश किये गए विधेयक के मुताबिक शारीरिक दंड के मामले में दोषी पाए जाने पर संस्था के संचालक या बच्चों के देखभाल करने वालों को तीन माह तक की जेल हो सकती है। जबकि दोषी कर्मचारी या देखभाल करने वालों को भविष्य में बच्चों से संबंधित किसी भी संस्था में नौकरी नहीं मिल सकेगी। वहीं मामला उजागर होने पर ऐसी संस्था के प्रबंधक के जांच में सहयोग नहीं करने पर एक लाख तक के जुर्माने के साथ कम से कम तीन साल तक की सजा हो सकती है। इस विधेयक पर संसद के अगले सत्र में चर्चा होगी। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जेजे एक्ट शामिल सजा के प्रावधान पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपनी आपत्ति जताई थी। उसका कहना था कि शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत शारीरिक दंड और शैक्षणिक संस्थाओं में रैगिंग के मामले में सजा का प्रावधान पहले से मौजूद है। नए कानून में इसे शामिल करने का औचित्य नहीं है। इसलिए संसद में पेश विधेयक में इन बिंदुओं को शामिल नहीं किया गया है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभिभावकों द्वारा बच्चों को शारीरिक दंड दिए जाने से रोकना मुश्किल है। इसलिए कानून में अभिभावक के लिए सजा का प्रावधान शामिल करना उचित नहीं होगा। हालांकि मामले की गंभीरता के आधार पर आईपीसी के तहत पहले से ही कारवाई का विकल्प मौजूद है। गौरतलब है कि जेजे एक्ट में शामिल इन बिंदुओं पर अगर संसद की मुहर लग जाती है तो भारत उन 40 देशों में शामिल हो जाएगा जो बच्चों को शारीरिक दंड पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हैं।

       साभार : अमरउजाला

Post a Comment

0 Comments