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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मास्टरी की दौड़ में पिछड़ जाएंगे 1.80 लाख अभ्यर्थी : 72825 की भर्ती के बाद 1.80 लाख अभ्यर्थी हैं मास्टरी की दौड़ में -

मास्टरी की दौड़ में पिछड़ जाएंगे 1.80 लाख अभ्यर्थी : 72825 की भर्ती के बाद 1.80 लाख अभ्यर्थी हैं मास्टरी की दौड़ में -

कमल तिवारी/एसएनबी लखनऊ। परिषदीय स्कूलों में अब सरकारी मास्टरी हासिल कर पाना मुश्किल होगा। प्रदेश में चल रही 72825 शिक्षकों की भर्ती के बाद 1.80 लाख अभ्यर्थी मास्टरी की दौड़ से बाहर हो जाएंगे और शिक्षकों के पद खाली रहने के बाद भी सूबे में बीटीसी व टीईटी बेरोजगारों की फौज खड़ी हो जाएगी। हालांकि टीईटी में सफलता की अहमियत पांच वर्ष रहेगी, लेकिन शिक्षक भर्ती में टीईटी की मेरिट लाखों अभ्यर्थियों के लिए मुश्किल पैदा करेगी।

 सूत्रों का कहना है कि 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती में वर्ष 2011 में टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 2.53 लाख अभ्यर्थियों को शामिल होने का मौका दिया गया है। इनमें ज्यादातर बीएड डिग्रीधारक हैं जबकि बीटीसी प्रशिक्षितों की तादाद काफी कम है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने परिषदीय स्कूलों में बीएड अभ्यर्थियों की भर्ती के लिए मार्च 15 तक की ही मोहलत दे रखी है। ऐसे में इस भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों के लिए यह आखिरी मौका होगा, इसके बाद उनकी टीईटी पात्रता तो बनी रहेगी, लेकिन परिषदीय स्कूलों की प्राथमिक कक्षाओं में मास्टरी पाने की रेस से बाहर हो जाएंगे। उनके पिछड़ने का एक बड़ी वजह मेरिट से भर्ती भी बनेगी। 

72825 पदों पर भर्ती होने के बाद भी 1.80 लाख टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी इस बार नौकरी पाने की ख्वाहिश पूरी नहीं कर पाएंगे। इसी व्यवस्था को भविष्य में भी लागू रखा गया तो वर्ष 2013 में दो बार हुई टीईटी में बेहतर मेरिट लाने वाले उन पदों के दावेदार होंगे, लेकिन एनसीटीई की शर्त तथा मेरिट उनकी राह मुश्किल कर देगी। जानकारों का कहना है कि अगले वर्ष से प्रदेश में करीब 40 हजार बीटीसी अभ्यर्थी उपलब्ध होंगे, लेकिन इनमें बीएड वालों के लिए कोई स्कोप नहीं रहेगा। हालांकि उनकी उम्मीद अभी सुप्रीम कोर्ट से आने वाले अंतिम फैसले पर टिकी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती वर्ष 2011 के विज्ञापन के आधार पर करने का आदेश दिया है और आगे वह अपना निर्णय बाद में सुनाएगा। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को उम्मीद है कि राज्य सरकार को इसके बाद राहत मिल सकती है। राज्य सरकार टीईटी की मेरिट के बजाय एकेडमिक मेरिट के आधार पर भर्ती के हक में है, सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले तक राज्य सरकार के तर्क से भर्ती हुई तो बीटीसी के कम मेरिट वाले अभ्यर्थी राहत पा सकेंगे। खड़ी हो जाएगी बेरोजगारों की फौज सुप्रीम कोर्ट के अन्तिम फैसले पर उम्मीद टिकी है |

     
साभार : राष्ट्रीय सहारा

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