शिक्षामित्रों के समायोजन पर कोर्ट को चुनौती देगी सरकार : टीईटी की अनिवार्यता नहीं
लखनऊ बुधवार, 18 जून 2014
up govt to challenge high court on shikshamitra issue
१- शिक्षामित्रों के लिए टीईटी की अनिवार्यता नहीं
२- १९ जून को हाईकोर्ट में है सुनवाई
३-शिक्षामित्रो को टीईटी से छूट देना राज्य सरकार के अधिकार में
४-कोर्ट में शिक्षामित्रों के समायोजन पर उठाये गये कई सवाल
५-शिक्षामित्रों के समायोजन के मामले पर सरकार की मनमानी
लखनऊ : शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर राज्य सरकार ने अपना पक्ष मजबूती से रखने का मन बना लिया है, वहीं हाईकोर्ट द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब भी तलाश्ा लिया है।
इस मसले पर सरकार का कहना है कि हाईकोर्ट में सरकारी अधिवक्ताओं के साथ जरूरत पड़ी तो निजी अधिवक्ताओं की टीम भी लगाई जाएगी। सरकार का मानना है कि शिक्षा मित्रों के समायोजन का मामला नहीं फंसेगा।
शिक्षा मित्र पूर्व से संविदा शिक्षक हैं, बस उनका समायोजन किया जा रहा है। इसलिए ये नए शिक्षकों की श्रेणी में नहीं आते हैं, टीईटी की अनिवार्यता नए शिक्षक भर्ती के लिए है।
19 जून को होगी सुनवाई
राज्य सरकार ने शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए उत्तर प्रदेश अध्यापक सेवा नियमावली और उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन करते हुए 30 मई को इस संबंध में आदेश जारी किया था।
हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 19 जून को सुनवाई होनी है। बेसिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार ने इस संबंध में मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक की और हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती के साथ रखने का निर्देश दिया।
टीईटी में छूट राज्य सरकार का अधिकार
बेसिक शिक्षा विभाग का मानना है कि शिक्षा मित्रों को टीईटी से छूट देने के लिए उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (प्रथम संशोधन) नियमावली-2014 में प्रावधान के साथ नियम 16 (क) जोड़ा गया है।
इसमें शिक्षा मित्रों को टीईटी से छूट देने का अधिकार राज्य सरकार के अधीन कर दिया गया है। उधर, शिक्षा मित्र के गुट भी अपना पक्ष हाईकोर्ट में रखने की तैयारी में जुट गए हैं।
उत्तर प्रदेश शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र शाही और प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष गाजी इमाम आला व प्रदेश मंत्री अनिल कुमार यादव ने कहा है कि उन्होंने हाईकोर्ट कैवियट दाखिल कर रखा है। इसलिए उनका पक्ष सुनने के बाद ही कोई फैसला आएगा।
समायोजन पर उठाए सवाल
गौरतलब है कि शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर बीटीसी प्रशिक्षु शिवम राजन द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें शिक्षामित्रों के समायोजन को कई आधार पर चुनौती दी गई।
आधार लिया गया कि 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई ने सहायक अध्यापकों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसके अनुसार सहायक अध्यापक होने के लिए शिक्षक अर्हता के साथ ही टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा।
एचआरडी ने इसके तहत गाइड लाइन जारी कि यदि राज्य सरकार को एनसीटीई के नियमों में कोई छूट चाहिए तो उसे केंद्र से अनुरोध करना होगा।
प्रदेश सरकार ने केंद्र से कोई अनुमति लिए बिना 14 जनवरी 2011 को एनसीटीई को प्रस्ताव भेजा कि शिक्षामित्रों को बेसिक टीचर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रस्ताव को एनसीटीई ने मंजूरी भी दे दी।
सरकार ने की मनमानी
यह मामला भी उठाया गया कि शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लंबित है। एकलपीठ ने पहले प्रशिक्षण पर रोक लगा दी थी जिसके खिलाफ विशेष अपील हुई।
30 मई 2011 को खंडपीठ ने स्थगन आदेश को रद कर दिया तथा मामले को पुन: निस्तारण के लिए एकलपीठ के समक्ष भेज दिया है।
खंडपीठ ने यह भी कहा है कि शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण का मामला एकल न्यायपीठ द्वारा याचिका पर दिए अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।
इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने सात फरवरी 2013 को शासनादेश जारी कर शिक्षामित्रों के समायोजन का निर्देश जारी कर दिया।
साभार : अमरउजाला
लखनऊ बुधवार, 18 जून 2014
up govt to challenge high court on shikshamitra issue
१- शिक्षामित्रों के लिए टीईटी की अनिवार्यता नहीं
२- १९ जून को हाईकोर्ट में है सुनवाई
३-शिक्षामित्रो को टीईटी से छूट देना राज्य सरकार के अधिकार में
४-कोर्ट में शिक्षामित्रों के समायोजन पर उठाये गये कई सवाल
५-शिक्षामित्रों के समायोजन के मामले पर सरकार की मनमानी
लखनऊ : शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर राज्य सरकार ने अपना पक्ष मजबूती से रखने का मन बना लिया है, वहीं हाईकोर्ट द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब भी तलाश्ा लिया है।
इस मसले पर सरकार का कहना है कि हाईकोर्ट में सरकारी अधिवक्ताओं के साथ जरूरत पड़ी तो निजी अधिवक्ताओं की टीम भी लगाई जाएगी। सरकार का मानना है कि शिक्षा मित्रों के समायोजन का मामला नहीं फंसेगा।
शिक्षा मित्र पूर्व से संविदा शिक्षक हैं, बस उनका समायोजन किया जा रहा है। इसलिए ये नए शिक्षकों की श्रेणी में नहीं आते हैं, टीईटी की अनिवार्यता नए शिक्षक भर्ती के लिए है।
19 जून को होगी सुनवाई
राज्य सरकार ने शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए उत्तर प्रदेश अध्यापक सेवा नियमावली और उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन करते हुए 30 मई को इस संबंध में आदेश जारी किया था।
हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 19 जून को सुनवाई होनी है। बेसिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार ने इस संबंध में मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक की और हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती के साथ रखने का निर्देश दिया।
टीईटी में छूट राज्य सरकार का अधिकार
बेसिक शिक्षा विभाग का मानना है कि शिक्षा मित्रों को टीईटी से छूट देने के लिए उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (प्रथम संशोधन) नियमावली-2014 में प्रावधान के साथ नियम 16 (क) जोड़ा गया है।
इसमें शिक्षा मित्रों को टीईटी से छूट देने का अधिकार राज्य सरकार के अधीन कर दिया गया है। उधर, शिक्षा मित्र के गुट भी अपना पक्ष हाईकोर्ट में रखने की तैयारी में जुट गए हैं।
उत्तर प्रदेश शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र शाही और प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष गाजी इमाम आला व प्रदेश मंत्री अनिल कुमार यादव ने कहा है कि उन्होंने हाईकोर्ट कैवियट दाखिल कर रखा है। इसलिए उनका पक्ष सुनने के बाद ही कोई फैसला आएगा।
समायोजन पर उठाए सवाल
गौरतलब है कि शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर बीटीसी प्रशिक्षु शिवम राजन द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें शिक्षामित्रों के समायोजन को कई आधार पर चुनौती दी गई।
आधार लिया गया कि 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई ने सहायक अध्यापकों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित की है। इसके अनुसार सहायक अध्यापक होने के लिए शिक्षक अर्हता के साथ ही टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा।
एचआरडी ने इसके तहत गाइड लाइन जारी कि यदि राज्य सरकार को एनसीटीई के नियमों में कोई छूट चाहिए तो उसे केंद्र से अनुरोध करना होगा।
प्रदेश सरकार ने केंद्र से कोई अनुमति लिए बिना 14 जनवरी 2011 को एनसीटीई को प्रस्ताव भेजा कि शिक्षामित्रों को बेसिक टीचर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रस्ताव को एनसीटीई ने मंजूरी भी दे दी।
सरकार ने की मनमानी
यह मामला भी उठाया गया कि शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लंबित है। एकलपीठ ने पहले प्रशिक्षण पर रोक लगा दी थी जिसके खिलाफ विशेष अपील हुई।
30 मई 2011 को खंडपीठ ने स्थगन आदेश को रद कर दिया तथा मामले को पुन: निस्तारण के लिए एकलपीठ के समक्ष भेज दिया है।
खंडपीठ ने यह भी कहा है कि शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण का मामला एकल न्यायपीठ द्वारा याचिका पर दिए अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।
इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने सात फरवरी 2013 को शासनादेश जारी कर शिक्षामित्रों के समायोजन का निर्देश जारी कर दिया।
साभार : अमरउजाला
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