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सरकार का फैसला : रिटायरमेंट के बाद भी पढ़ायेंगे टीचर -

#सरकारकाफैसला, रिटायरमेंट के बाद भी पढ़ाएंगे टीचर-
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एक वर्ष तक और पढ़ाने का मिलेगा मौका

शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों को इस साल भी इससे निजात मिलती नहीं दिख रही। सरकार फिलहाल रिटायर्ड शिक्षकों का सहारा लेने के मूड में है।

शुक्रवार को विधान परिषद में शिक्षक दल के सवाल पर नेता सदन ने कहा-सरकार सेवानिवृत्त शिक्षकों को एक वर्ष तक और पढ़ाने का मौका देने पर विचार कर रही है।

वहीं भाजपा सदस्यों ने वित्तविहीन स्कूलों के शिक्षकों को मान्यता प्राप्त के बराबर वेतन व भत्तों का मामला उठाया। नेता सदन के जवाब से असंतुष्ट भाजपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।

बसपा के सदस्यों ने मिर्जापुर में कन्या विद्याधन को बांटने में गड़बड़ी का मामला उठाया। साथ ही संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षक पर कार्रवाई न होने की वजह बताने की मांग की।

सरकार से कोई स्पष्ट उत्तर न आने पर सभापति गणेश शंकर पांडेय ने सरकार को निर्देश दिया कि वह जिला विद्यालय निरीक्षक पर पूरी स्थिति से अगले सप्ताह सदन को अवगत कराएं।

शिक्षकों की स्थिति गुलामों जैसी

शून्य प्रहर में भाजपा के डॉ. महेंद्र सिंह ने वित्तविहीन स्कूलों के शिक्षकों का मामला उठाते हुए कहा कि सरकार के ध्यान न देने से इन शिक्षकों की स्थिति गुलामों वाली हो गई है। विनोद पांडेय ने कहा कि पूरी शिक्षा व्यवस्था इन विद्यालयों के ऊपर ही प्रमुख रूप से निर्भर है।

लगभग 65 प्रतिशत आबादी के बालक व बालिकाएं इन्हीं स्कूलों में पढ़ते हैं। डॉ. यज्ञदत्त शर्मा ने कहा कि 1986 में जब वित्तविहीन मान्यता का प्रावधान किया गया था तो सरकार ने इसे अल्पकालिक प्रावधान कहा था। पर, आज तक यही चल रहा है।

निर्दल उमेश द्विवेदी ने तर्क दिया कि न्यायपालिका तक ने इस मान्यता को अनुचित करार दे दिया है। पर, सरकार इस प्रावधान को बरकरार रखे है। शिक्षक दल नेता ओमप्रकाश शर्मा ने उम्मीद जताई कि केंद्र में सरकार होने के नाते भाजपा इन शिक्षकों के कल्याण के बारे में कुछ न कुछ कदम जरूर उठाएगी।

भाजपा के नेता हृदयनारायण दीक्षित ने नेता सदन से यह स्पष्ट करने को कहा कि वह इन शिक्षकों को निर्धारित वेतन देने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत है या नहीं।

नेता सदन अहमद हसन ने हंसते हुए कहा कि हृदयनारायण दीक्षित दिमागी आदमी हैं। अपने तर्क से उलझन तो पैदा ही कर देते हैं। इन्होंने सैद्धांतिक रूप से सहमत होने के बारे पूछकर ऐसा ही किया। इस पर ठोस कार्रवाई करनी पड़ेगी। भाजपा सदस्यों ने बहिर्गमन कर दिया।

शिक्षकों की कमी दूर करे सरकार--शिक्षक दल के नेता ओमप्रकाश शर्मा व सदस्य जगवीर किशोर जैन ने माध्यमिक विद्यालयों में 31 हजार शिक्षकों की कमी से पठन-पाठन में बाधा पहुंचने का मामला उठाया। कहा कि चार दिन बाद शिक्षा सत्र शुरू होने जा रहा है। चयन बोर्ड से भर्तियां होने की उम्मीद नहीं है।

ऐसे में एकमात्र विकल्प राजकीय विद्यालयों की भांति ऑनलाइन भर्ती या संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में समिति गठित करके रिक्तियों को भरना ही है। नेता सदन ने आश्वस्त किया कि सरकार गंभीर है। तमाम विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। सेवानिवृत्त शिक्षकों को एक साल और पढ़ाने के लिए रखने पर भी विचार किया जा रहा है।

साभार : अमरउजाला

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