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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

दांव पर नौनिहालों की सेहत : मिड-डे मील, आंगनबाड़ी केंद्रों से खाद्य सामग्री के नमूने तक नहीं लिए, जांच तो दूर की बात

दांव पर नौनिहालों की सेहत : मिड-डे मील, आंगनबाड़ी केंद्रों से खाद्य सामग्री के नमूने तक नहीं लिए, जांच तो दूर की बात

१-पूरे प्रदेश में ठप है राशन की सैंपलिंग
२-अमर उजाला की आरटीआई में चौंकाने वाला खुलासा
३-१८ महीनों में कितनी सैपलिंग और कितने नमूनों की जाँच
४- प्रदेश के ५० जिलों से अधिक के अधिकारियों के रिपोर्ट से हुआ खुलासा
५-बिहार के छपरा में बच्चों के मौत से चेती थी सरकार
६- ज्यादातर जिलों में निरीक्षण व कार्यवाही की संख्या शून्य 
७-एसएफडीए का तर्क मिड-डे-मील हमारी निगरानी में

लखनऊ। दूध में डिटर्जेंट समेत कई खतरनाक रसायन मिलने की बात मानने वाली सरकार नौनिहालों की सेहत पर भी लापरवाह बनी हुई है। स्कूलों में मिलने वाला मिड-डे मील बच्चों के लिए कितना सेहतमंद है, गुणवत्ता कैसी है, कहीं इसमें घटिया राशन का प्रयोग तो नहीं किया जा रहा, इसकी चिंता किसी को नहीं है। जांच की बात तो दूर लखनऊ समेत प्रदेश के किसी भी जिले में नमूने तक नहीं लिए गए।
चौंकाने वाली यह जानकारी अमर उजाला की एक आरटीआई में सामने आई है। यही हालत राशन दुकानों से वितरित होने वाले अनाज की भी है। वहीं मिलावटी खाद्य सामग्री की बिक्री रोकने व मिलावटखोरों की धरपकड़ के लिए जिम्मेदार खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन (एफएसडीए) के अफसर चुप्पी साधे हुए हैं।

आरटीआई के जवाब में राजधानी लखनऊ, प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी, हरदोई, फैजाबाद , मीरजापुर, फर्रुखाबाद, मुज्जफरनगर, महराजगंज, कानपुर नगर व कानपुर देहात, फीरोजाबाद, अमरोहा, गोरखपुर, अंबेडकरनगर, सिद्धार्थनगर, बागपत, देवरिया व बाराबंकी सहित प्रदेश के अन्य सभी जिलों में नामित एफएसडीए के अफसरों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक एक भी नमूना लैब टेस्टिंग के लिए नहीं लिया गया। साथ ही किसी भी तरह की जांच पड़ताल भी नहीं की गई।

पूरे प्रदेश में ठप है राशन की सैंपलिंग
अमर उजाला की आरटीआई में चौंकाने वाला खुलासा
18 महीनों में कितनी सैंपलिंग और कितने नमूनों की जांच
जनस्वास्थ्य से जुड़े इस अहम व संवेदनशील मुद्दे पर अमर उजाला ने आरटीआई दाखिल की थी। इसमें एफएसडीए से सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़े कोटेदारों, गोदामों, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग व मिड-डे-मील से संबंधित खाद्य कारोबारियों व सप्लाई से जुड़ी संस्थाओं की मॉनिटरिंग को लेकर सवाल किए गए थे। इसमें 5 अगस्त 2012 से 31 जनवरी 2014 तक खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत निरीक्षणों, सैंपलिंग, जांच रिपोर्ट और कार्रवाइयों के संबंध में जानकारियां मांगी गई थीं।

नमूनों की सैंपलिंग तक नहीं हुई
प्रदेश के 50 से अधिक जिलों से मिले विभागीय अधिकारियों के जवाब से यह खुलासा हुआ कि किसी भी जिले में एफएसडीए के अफसरों ने नौनिहालों व गरीब आदमी की सेहत से सीधे जुड़े इस मामले से कोई सरोकार नहीं रखा। न तो नमूनों की सैंपलिंग की गई और न ही कोई जांच हुई।
बिहार के छपरा में बच्चों की मौत के बाद चेती थी सरकारें
2013 में बिहार के छपरा जिले के कई गांवों में बच्चों की मौत के बाद चेती केंद्र और राज्य सरकारों ने एफएसडीए प्रशासन को अपने अपने स्तर से नियमित तौर पर मिड-डे-मील के नमूनों की सैंपलिंग व जांच के साथ ही इसमें इस्तेमाल होने वाले राशन की दुकानों के कच्चे अनाज व आंगनबाड़ी केंद्रों में बंटने वाली खाद्य सामग्री की जांच के नए सिरे से निर्देश दिए थे।
एक्ट कहता है : नमूने नियमित ले एफएसडीए
एफएसडीए एक्ट कहता है कि फूड आइटम की श्रेणी में आने वाली राशन की दुकानों से वितरित होने वाले अनाज, स्कूलों में मिड-डे-मील व आंगनबाड़ी केंद्रों से गांवों में बांटे जाने वाले दोपहर के नाश्ते व भोजन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री के साथ तैयार खाद्य आइटम की नियमित सैंपलिंग कर लैब में टेस्ट कराया जाए ताकि इसकी गुणवत्ता व शुद्धता जांची जा सके।

शिकायत मिलने पर ही जांच पड़ताल
खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन की टीम मिड-डे-मील, राशन की दुकानों से बंटने वाले अनाज व आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित होने वाली खाद्य सामग्री की जांच पड़ताल व सैंपलिंग शिकायत मिलने पर ही कर सकती है। शासन स्तर से जारी दिशा निर्देश के अनुसार एफएसडीए टीम सामान्य तौर पर सिर्फ सर्विलांस सैंपलिंग का कार्य करती है। इसकी अलग से कोई रिपोर्ट संकलित नहीं होती।
 इसलिए ज्यादातर जिलों ने कार्रवाई व निरीक्षण की संख्या शून्य बताई है। राशन की दुकानों को पूरी तरह से कार्रवाई के दायरे में लाने के लिए नए प्रावधानों के तहत अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के दायरे में लाने की प्रक्रिया चल रही है।

- विजय बहादुर, सहायक आयुक्त एफएसडीए
एफएसडीए का तर्क मिड-डे मील हमारी निगरानी में नहीं
एफएसडीए अफसरों का कहना है कि मिड-डे मील में प्रयोग होने वाला अनाज ‘फॉर सेल’ की श्रेणी में नहीं आता। इसके अलावा इसकी निगरानी और संचालन का जिम्मा बेसिक शिक्षा विभाग संभालता है। ऐसे में बिना विशेष निर्देश के खाद्य सामग्री की जांच पड़ताल व सैंपलिंग संभव नहीं।

   साभार : अमरउजाला

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