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सरकारी योजनाएं भी नहीं रोक पा रही हैं बच्चों को : परिषदीय स्कूलों में घट रही छात्रों की संख्या -

सरकारी योजनाएं भी नहीं रोक पा रही हैं बच्चों को : परिषदीय स्कूलों में घट रही छात्रों की संख्या -
१-एसएसए के निदेशालय को मिली रिपोर्ट के मुताबिक ३७ जिलों में घट रही छात्रों की छात्र संख्या
२-6 से 14 वर्ष के बच्चों की शिक्षा अनिवार्य कर दी गयी
३-बीईओ को प्रशासनिक कामों के साथ स्कूलों की पढ़ाई पर देना होगा ध्यान
४- छात्रों का औसत ठहराव 86.06 फिसदी से घटा
लखनऊ। मुफ्त किताब, मुफ्त यूनिफॉर्म, मुफ्त खाना और यहां तक कि फेल न किए जाने की गारंटी के बाद भी परिषदीय स्कूलों में छात्रों की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। यह स्थिति तब है जब स्कूलों में छात्रों के ठहराव (उपस्थिति) के लिए स्कूल मैनेजमेंट कमेटी बनाई गई है और उसमें अभिभावकों को भी शामिल किया गया है। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय को मिली रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 37 जिले ऐसे हैं जहां छात्र संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। परियोजना निदेशक कुमुदलता श्रीवास्तव ने संबंधित जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जुलाई से शुरू होने वाले नए सत्र से स्कूलों में छात्रों के ठहराव पर विशेष ध्यान दिया जाए।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत हर साल यू-डायस के माध्यम से स्कूल जाने वाले छात्रों की संख्या का जिलेवार ब्यौरा तैयार कराया जाता है। इसके जरिये पता लगाया जाता है कि किस कक्षा में कितने छात्रों को दाखिला दिया गया और कितनों ने बीच में स्कूल छोड़ दिया। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय को मिली रिपोर्ट में 37 जिलों में स्कूलों में छात्रों के ठहराव की संख्या कम मिली है। राज्य परियोजना निदेशालय ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेजे पत्र में कहा है कि औसत ठहराव दर 86.06 से काफी घटा है। इसे गंभीरता से लेते हुए छात्रों के स्कूलों में ठहराव पर विशेष ध्यान देना होगा।
ठहराव के होंगे प्रयास
राज्य परियोजना निदेशालय ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि माह के एक तिहाई दिवसों में स्कूल में अनुपस्थित रहने वाले छात्र-छात्राओं के घर जाकर शिक्षक अभिभावकों को समझाएंगे कि वे अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजें। बीएसए को यह व्यवस्था देनी होगी कि जिले में कोई भी स्कूल बंद व एकल न रहने पाए। खंड शिक्षा अधिकारियों को प्रशासनिक कामों के साथ स्कूलों की पढ़ाई पर भी ध्यान देना होगा।
इन जिलों में कम हुई उपस्थिति
बिजनौर, बलरामपुर, हाथरस, बुलंदशहर, महराजगंज, लखीमपुर खीरी, बरेली, महोबा, अंबेडकरनगर, फीरोजाबाद, कानपुर देहात, फतेहपुर, जेपी नगर, देवरिया, कुशीनगर, अलीगढ़, कौशांबी, मुरादाबाद, श्रावस्ती, सहारनपुर, बाराबंकी, बहराइच, फैजाबाद, बदायूं, मुजफ्फरनगर, सुल्तानपुर, गाजियाबाद, एटा, गोंडा, रायबरेली, आजमगढ़, गोरखपुर, संतकबीरनगर, कन्नौज, प्रतापगढ़, बागपत और गौतमबुद्धनगर।


    साभार : अमरउजाला

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