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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

बीएसए का असम्मानित भाषा : बीएसए के बयान पर भड़की शिक्षिकाएं , तोड़फोड़

बीएसए के बयान पर भड़कीं शिक्षिकाएं, तोड़फोड़-
१-जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों और शिक्षिकाओं को वेश्यावों का दर्जा दिया
२-डीएम से बीएसए को बर्खास्त करने की मांग
३- बीएसए ने सचिव के आदेश की भी अवहेलना की
४-१२ दिसम्बर २०१२ को एक शासनादेश दिया था जिसके अनुसार शिक्षकों के प्रति शिष्टाचार का व्यवहार करने सम्बन्धी आदेश

कानपुर,जागरण संवाददाता: सम्मान समारोह में शिक्षक शिक्षिकाओं को वेश्याओं और मैला ढोने वालों से भी बदतर कहकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बुरे फंस गए हैं। उनके बयान से भड़की सैकड़ों शिक्षिकाओं ने शनिवार को बीएसए कार्यालय में हंगामा कर फर्नीचर तहस नहस कर दिया और कुछ फाइलें भी फाड़कर फेंक दी। शिक्षिकाओं ने बीएसए की बर्खास्तगी की मांग करते हुए डीएम को ज्ञापन दिया है। कार्रवाई की मांग करते हुए शिक्षक संगठनों ने स्कूलों में ताला बंदी की चेतावनी दी है।
शनिवार सुबह बीएसए कार्यालय में करीब दो दर्जन शिक्षक शिक्षिकाएं पहुंचे और नारेबाजी शुरू कर दी। जैसे जैसे प्राइमरी और उच्च प्राइमरी स्कूल बंद होते गये वैसे वैसे शिक्षक शिक्षिकाएं वहां जुटने लगे। करीब एक बजे तक सैकड़ों महिला व पुरुष शिक्षक पहुंच गये। नारेबाजी कर घूम-घूम कर दफ्तर बंद कराने लगे। बीएसए राजेन्द्र प्रसाद यादव तो मौके पर मिले नहीं लेकिन उनका कमरा खुला था। गुस्साए शिक्षक शिक्षिकाओं ने फर्नीचर और कुर्सियां पलट दी। जमकर तोड़फोड़ करके सारा फर्नीचर नष्ट कर दिया। सरकारी फाइलें फाड़ दीं और वॉटर कूलर भी तोड़ दिया। शिक्षक संगठनों ने परिसर में बैठक करके बीएसए की बर्खास्तगी की मांग करते हुए ज्ञापन तैयार किया। कार्रवाई की मांग को लेकर शिक्षिकाएं जिलाधिकारी डा. रोशन जैकब से मिलने पहुंची लेकिन वह मौजूद नहीं थीं। तब सभी ने एडीएम एफआर शत्रुघ्न सिंह और एसीएम षष्टम आरपी त्रिपाठी को ज्ञापन देकर बर्खास्तगी की मांग की। उधर बीएसए आफिस में तोड़फोड़ और तालेबंदी से नाराज शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है।
कार्यालय में नहीं बैठते
कानपुर: हंगामा कर रहे शिक्षक शिक्षिकाओं ने आरोप लगाया कि बीएसए ने करीब सात माह पहले यहां ज्वाइन किया। जांच की जाए तो वह सात दिन भी अपने कार्यालय में नहीं बैठे। शिक्षकों से छुट्टी और सीसीएल के नाम पर पैसा मांगा जाता है।
न पहुंची पुलिस, न महिला कांस्टेबल
कानपुर: बीएसए आफिस में सुबह दस बजे से आक्रोशित शिक्षक शिक्षिकाओं का आना शुरू हो गया था। मामला उग्र होने तक एक भी सिपाही मौके पर नहीं पहुंचा। भारी संख्या में शिक्षिकाएं थीं लेकिन कोई महिला सिपाही भी मौके पर नहीं थी। तोड़फोड़ और तालेबंदी की सूचना के बाद सीओ गोविन्दनगर रोहित मिश्रा और थाने का फोर्स मौके पर पहुंचा।
इंसेट)) क्या है मामला
कानपुर: मर्चेट चैंबर हाल में बुधवार को आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि एक वेश्या हो या फिर मैला ढोने वाला व्यक्ति, वह अपने काम को पूरे मन और लगन से करता है, यह उसकी मजबूरी है, लेकिन छोटे बच्चों को चार घंटे पढ़ाने जैसे अच्छे काम को करने में भी शिक्षक अपना अपमान समझते हैं। उनकी स्थिति वेश्या और मैला ढोने वालों से भी बदतर है। उन्हें चाहिए कि वह बच्चों को पढ़ाएं और पूरी लगन से अपनी ड्यूटी करें।
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वर्जन-मेरे बयान को कुछ शरारती तत्वों ने तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत कर राजनीति की है। मैंने किसी भी महिला के लिए कोई ऐसे शब्द नहीं कहे जिससे उसकी भावनाएं या सम्मान आहत हों। -राजेन्द्र प्रसाद यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी।
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शिक्षकों द्वारा विरोध करने का तरीका बिल्कुल गलत है। तोड़फोड़ और सरकारी काम में बाधा पहुंचाना सही नहीं है। आयोग से आई कई फाइलें भी इसमें नष्ट हो गई हैं। -आरएस विश्वकर्मा, डिप्टी बीएसए।

साभार : दैनिक जागरण व बेशिप न्यूज

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1 Comments

  1. मित्रों इस मसले पर संगठन को गंभीरता से लेते हुए बीएसए के खिलाफ जोरदार कदम उठाना चाहिए....क्योंकि यह मसला मुझे लगता है हमारे वजूद से जुड़ा है|

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